लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप्स ….

प्यार कम लड़ाई ज्यादा

फिर अगले ही कॉल पर लड़ाई ना करने का वादा,,,,

बिना देखे ,बस यूँ ही किसी की बातों पर

भोरोसा कर लेना

सुबह की गुड मोर्निंग से रात की गुड नाईट तक

सब कुछ फोन पर बता देना

सुबह – सुबह विडियो कॉल पर साथ में नास्ता करना

और आज का दिन बहुत बिजी है बेबी ,,कहकर पहले से ही सॉरी मांग लेना

अगर एक दिन वो भूल जाये हमे खाने के लिए पूछना तो

तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम नहीं है ,,कह कर फिर लड़ जाना

रात की लम्बी बातों में बार बार कहना कि, “यार, मुझे नींद लग रही है”

“अच्छा!!! थोड़ा और बात करलो ना ,बस 5 मिनट “कहकर उसका सुबह कर देना

फिर साथ रहने के सपने एक साथ देखना कि

जब हम एक शहर में एक साथ रहेंगे तो

कितनी मस्ती करेंगे

ढेर सारी बातें करेंगे ,खूब घूमेंगे……….

इस रिश्ते में यूँ तो शक़ करने की हजारों वजह होती है

पर साथ रहने की सिर्फ एक वजह भरोसा ……

और पता है ??

सबसे ज्यादा इंतज़ार रहता है उस दिन का

जब महीनो बाद कोई मिलने आता है

उस एक दिन के 6 घंटे तो ऐसे बीत जाते हैं

जैसे किसी ने घड़ी पर ऊँगली फेर दी हो

फिर चला जाता है वो अपने शहर को

और शुरू हो जाता है इंतजार

एक और,, ऐसे ही दिन का …….

@shivangee70

 

 

… वो हैं मेरे पापा …

जब जन्म लिया मैंने तो सबसे कीमती चीज़ जो मुझे मिली

जिससे थी  मैं बेखबर

जो मनाये जा रहा था मुझे पाने की खुशियाँ

‘वो हैं मेरे पापा ‘

जो मैं दुनियां में आई ,मेरी पहली हंसी के इंतजार में

मुझसे एक बार पापा सुनने को जो थे आतुर

मुझे अपने कंधे पर बैठा कर सारा जहाँ घुमाने को जो थे बेचैन

‘वो हैं मेरे पापा ‘

जब मैंने चलना चाहा ,तो कहीं गिर ना जाऊ इस डर से

हमेसा अपना हाथ आगे कर देने वाले

मेरे हर आंसू को आँख में आने से पहले भाप लेने वाले

‘वो हैं मेरे पापा ‘

इधर मैं बड़ी हो रही थी उधर, मेरे खुद से दूर हो जाने के डर से जो थे बेचैन

जब माँ ने कहा कि,”अब जाएगी ये पढ़ने” तब , “अभी ये हैं ही कितनी बड़ी “कह कर मेरा साथ देने वाले

‘वो है मेरे पापा ‘

ऑफिस से घर आने पर जिसकी नज़रे ढूढ़ने लगती अपनी बिटिया को

10 मिनट जो मैं ना बोलू तो ,”अब तुम्हे क्या हो गया “ये कहने वाले

‘वो हैं मेरे पापा ‘

मुझे पढ़ाया ,मेरा सपना पूरा किया ,अब इतनी बड़ी हो चली मैं कि छूटने वाला है पापा का घर

उस शक्श को खोजने के लिए परेशां, जो ले जायेगा मुझे उनसे दूर

रखेगा उनके जैसा ही मेरा ख्याल

मेरे जाते जाते भी मेरी दुनियां को जो चाँद तारों से सजा देना चाहते थे

‘वो है मेरे पापा ‘

अब एक पिता को मैं क्या लिखूं ! ,जिसने मेरी हर इच्छा पूरी की

जो चाहे 12 बजे दिन में घर आये या 12 बजे रात को अपनी बेटी को ढूढती जिसकी नज़र

जिसने दुनियां की लाख बातें सुनी हो पर बिटियाँ को अपने ,,ज़माने की हर बुरी नज़र से बचाए

अब एक पिता को मैं क्या लिखू !

जिसने मुझे जीना सिखाया

इस जालिम दुनियां में खुद की पहचान बनाना सिखाया ….

<<<<<<<<<<<जिसने मेरे जन्म पर मुझे अपना नाम दिया

ए_खुदा तूने भी मेरे जन्म पर मुझे क्या खूब इनाम दिया >>>>>>>>>>>

‘वो हैं मेरे पापा ‘

s4.jpg…………….

@shivangee70